Thursday, February 16, 2012

एम.एफ. हुसैन : लगभग शताब्दी भर के कैनवास में पसरा जीवन

हुसैन की जिन वजहों से आलोचना होनी चाहिए, वह ‘इतर विवादों’ और व्यक्ति पूजक सामंती मूल्यों के आधार पर उन्हें तकरीबन द्वंद्व से परे विलक्षण प्रतिभा मान लेने के कारण छूटी रही है जबकि वहीं उनकी भत्र्सना जिन सांप्रदायिक, रूढि़वादी वजहों से हुई, वे हुसैन के कला कर्म की काबिल-ए-तारीफ जगहें थी।

करीबन एक शताब्दी का सक्रिय जीवन जीने के बाद मकबूल फिदा हुसैन अब नहीं रहे। हुसैन का पूरा जीवन एक फंतासी की तरह रहा है। 95 वर्षों के लम्बे जीवन की शुरुवात में तंगहाली, तरूणाई में ऊर्जा, जवानी में संघर्ष, अधेड़ उम्र में बेहद सफलता, आखिरी वर्षों में उनकी कलाकृतियों पर हुए विवादों के बाद देश से अघोषित निष्कासन, फिर नागरिकता का त्याग और अंत में देश के बाहर ही मौत, इस सब में एक रोचक ट्रैजिक कहानी है।