"...चित्रों से हमारा पुराना रिश्ता है. बाबा आदम के जमाने का... क्या जाने उससे भी पुराना हो...! इस ब्लॉग में भी रंगों की आकारों की ही भगदड़ होगी. तैयार रहिएगा. ... नहीं-नहीं डरिये मत! भगदड़ तो होगी लेकिन हॉल बहुत बड़ा है. आदिमानव के वक्त से आजतक की लम्बाई है इसकी. कोई दबा कुचला नहीं जाएगा... आप भी कहीं खड़े हो जाना जी. और जी करे तो खुद भी भगदड़ में शामिल हो जाना... सोचा तो अभी यही है कि खूब मजा आऐगा ...देखिए आगे आगे होता है क्या..."
कला की इतनी समझ नहीं रखता, पर फिर भी कुछ चीज़े अनायास ही अपनी और खींचतीं है । ऐसे ही ये रंग.
ReplyDeleteथोड़ी बहुत जानकारी अगर इस चित्र के बारे में भी दी जाती तो और अच्छा होता.
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