Wednesday, June 8, 2011

एक अपील भरा गिफ्ट


बहुत खास दोस्त मोहन ने कल कुछ रंगों और ब्रश को नीली पन्नी में लपेट कर मुझे बर्थडे गिफ्ट के बतौर दिया.... एक कविता सा पत्र भी साथ में था-


लौट आओ रंगों के बीच दुबारा
वे अब उदास हो चले हैं
वे फिर से छूना चाहते हैं तुम्हारी अँगुलियों को.
फिर से होना चाहते हैं
जीवित , जीवंत
और खेलना चाहते हैं.
धमाचोकडी मचाना चाहते हैं.
ये बच्चे अब बहुत उदास हो चले हैं.
लौट आओ अब
इनके बीच.

-सोचता हूँ कुछ कैनवास खाली पड़े हैं घर पर. इस दोस्त ने जगाया है मुझे गहरी नींद से. अब अनगढ़ ही सही कुछ चित्र बनाऊ.

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